Jhumuk Das

Jhumuk Das ( J.D.) Manikpuri

ARTIST PHILOSOPHY

प्रथम दृष्टि में मेंढक को देख कर ही घृणा का ही भाव होती है | परंतु उसमे मै  सौंदर्य देखता हूं उसके विभिन्न मौसम में रूप आकार भाव भंगिमा में जो परिवर्तन होता है वह मुझे भी आकर्षित करती है और मुझे लगा  इसमे तो सोंदर्य है जैसे मनुष्य में सौंदर्य इसको मैं मेंढक के सौंदर्य को बनाना  आरंभ किया और उसमे  मानवों के दैनिक भाव भंगिमा को भी जोड़ कर उसे हास्यात्मक रूप प्रदान कर सामाजिक चेतना  का संचार दिखाया है और उसमें निरंतरता देखी हालाकि  मैठक बहुत देर तक एकही  जगह स्थाई नहीं होता परंतु उस के  अंदर का स्थिरता और धैर्य भी दिखाई देता है जैसे कोई हास्य कलाकार धैर्यपूर्वक प्रदर्शन ना करें तो हास्यपुट  खत्म हो जाता है  वैसे ही हमारे बीच बहुत सी चीजें में जो कोई अस्थाई दिखता है और उसमें हम ध्यान नहीं देते और इन छोटी-छोटी बातों का बहुत महत्व हमारे जीवन में होता है जैसे मेंढक का बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राकृतिक में है ठीक इसी तरह छोटी-छोटी सभी माननीय भाव को  अपने कार्य में दिखाकर कला के साथ-साथ मुस्कुराहट भी देना मेरा उद्देश्य हैं